Matlabi Shayari in Hindi
मतलबी लोगों का दौर है यारों,
यहां देख कर भी अनदेखा करते है हज़ारों।
बिना मतलब के इस दुनिया में,
कोई किसी का भला नहीं करता।
न जाने कौन सी शिकायतों का हम शिकार हो गए,
जितना दिल साफ रखा उतना ही हम गुनहगार हो गए।
मतलब पूरा होने के बाद लोग बोलना तो दूर,
देखना भी छोड़ देते है।
इस शहर के लोग बहुत मतलबी है,
टूटते तारे को देख अपने लिए कुछ नायाब मांगते है।
Matlabi Dost Shayari
जिंदगी और मौत के संघर्ष में सिर्फ,
मतलबी लोगों से मुलाकात हुई।
हाँ बहुत मतलबी हूँ मैं भी इश्क़ में,
चाहता हूँ मैं वो जो नहीं है मेरा।
कैसे कह दूँ इश्क मतलबी है उसका,
उसे मुझसे कोई फायदा भी तो नहीं है।
इस मतलबी दुनिया में ज्यादा अच्छा बनना भी खराब है।
जैसी तुम हो वैसी ही दुनिया है,
मतलबी तुम हो मतलबी दुनिया है।
Rishte Matlabi Shayari
उनका मतलबी होना भी पसंद है हमें,
मतलब से ही सही याद तो करते है हमें।
तुम्हारी हर अदा पर नजर रखते है,
मोहब्बत की दुनिया का हम भी खबर रखते है।
मतलबी दुनिया के लिए कोई,
रिश्ता मायने नहीं रखता।
इश्क़ बेमतलब ही सही,
पर मतलबी लोगो से हुआ।
मानता था मैं दुनिया के लिए,
कीमती होगा प्यार, वहम था मेरा,
मतलबी निकला यह सारा संसार।
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मतलबी दुनिया का किस्सा बड़ा पुराना है,
यह हर शख्स खूबसूरत चीजों के पीछे दीवाना है।
दिल-ए-मासुम ऐतबार कर लेता है थोडा प्यार पा कर,
तोड देती है दिल मेरा दुनिया मतलब निकाल कर।
दुनिया का पहला उसूल है जब तक काम है,
तब तक राम राम है,
उसके बाद ना दुआ ना सलाम है।
Matlabi Pyar Shayari In Hindi
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते है,
बहुत से लोग दुनिया में यही कारोबार करते है।
तुम्हारी हर अदा पर नजर रखते है,
मोहब्बत की दुनिया का हम भी खबर रखते है।
मतलबी लोगों की मीठी बात,
सम्भाल कर रखे अपनी जज्बात।
सबसे बुरा तब लगता है जब मतलबी लोग,
आपके दिल में उतर जाते है।
ऐसी मतलबी दोस्ती की जरूरत नहीं,
जो वक़्त और माहौल के साथ बदलती हो।
इस मतलबी दुनिया में इश्क सिर्फ दिखावा है।
तुझे भी धोखा मिलेगा ये मेरा दावा है।
घड़ा भी पहले अपनी प्यास बुझाता है,
कौन है यहां जो मतलबी नही है।
Matlabi Paise Ki Duniya Hai Shayari
लोग खुद पर विश्वास खोने लगे है।
अब तो दोस्त भी मतलबी होने लगे है।
जो मतलब के लिए छोड़ गए वो अपने नहीं होते,
जिसे साथ निभाना होता है वो मतलबी नहीं होते।
समय तो बहुत था हमारे पास रिश्ता सुधारने का,
लेकिन तुम उस वक्त को समझ नही पाई।
मतलबी दुनिया मे लोग खड़े है हाथों में पत्थर लेकर,
मैं कहाँ तक भागूँ शीशे का मुकद्दर लेकर।
देखो सब को अपनी तलब लगी है,
भीड़ बहुत है लेकिन सब मतलबी है।
मतलब है तो रिश्ता है वरना
इस फरेबी जमाने में कौन किसको पूछता है।
मदद करने से मैं घबराने लगा हूँ,
समझते हैं लोग मैं मतलबियों का सगा हूँ।
हुस्न के साथ मतलबी नकाब निकलता है,
अक्सर चमकता सोना खराब निकलता है।
तकलीफ है क्या सुनाएं दोस्तों को,
कमीने बीच में ही हंसा देते हैं मुझे।
मेरी मासुमीयत पर हंसते हैं,
मतलब निकालने वाले,
खुद को बहुत समझदार समझते हैं ,
ये शहर में रहने वाले।
लोग भी बडे मतलबी होते है,
जब हो जरूरतें तो पास आते है,
वर्ना जरूरतें ख़त्म होने पर,
आपको छोड़ जाते है।
अब बस चाय से याराना है,
क्यूंकि खुदगर्ज़ ये ज़माना है,
मतलबी लोगों से दूरी बनाना है,
उनको उन्हीं की भाषा सिखाना है।
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